बेगूसराय के ‌औद्योगिक क्षेत्र में खुलेगा लिची जूस प्रोसेसिंग प्लांट, उद्योग मंत्री ने की घोषणा

बेगूसराय जिले के औद्योगिक पार्क में लीची का जूस निकालने वाला प्लांट स्थापित किया जाएगा। बड़ी कंपनी ने इसके लिए दिलचस्पी दिखाई है। कंपनी ने सरकार को अपना प्रस्ताव भेजा है। वरुण बेवरेज ने फ्रूट एंड वेजिटेबल के लिए आवेदन किया है। राजधानी से भागलपुर जाने के कड़ी में राज्य सरकार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने जानकारी दी। उद्योग मंत्री अपने पार्टी के नेता विनोद हिसारिया के घर ठहरे थे। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि बेगूसराय जिले में नए उद्योग स्थापित हो रहे हैं इसके साथ ही पुराने उद्योगों का कायाकल्प भी हो रहा है।

उद्योग मंत्री ने बताया कि बरौनी रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल प्लांट स्थापित हो रहे हैं। आगामी कुछ महीनों में बरौनी फर्टिलाइजर खाद का उत्पादन शुरू कर देगा। कोरोना के चलते 6 फरवरी तक कुछ बंदिशें हैं। जिसके वजह से कार्य प्रभावित है इन्हें शीघ्र दूर किया जाएगा। केंद्र सरकार की कई प्रोजेक्ट बरौनी रिफाइनरी में चल रहे हैं, जिससे कई छोटे उद्योग धंधों का कायाकल्प होगा।

शाहनवाज हुसैन ने दैनिक भास्कर को बताया कि भविष्य में बेगूसराय क्षेत्र की उन्नति तय है। मंत्री के आने की सूचना मिलते ही पार्टी के तमाम पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं का बड़ा हुजूम उनसे मिलने पहुंचा। मंत्री ने कहा कि कई जिला एवं राज्यों का प्रवेश द्वार बेगूसराय है यहां विकास होने से अन्य जगहों पर भी इसका असर दिखेगा। लंबे समय से किसान बेगूसराय में लीची प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की मांग पर कर रहे थे।

शाहनवाज हुसैन ने यूपी में हो रहे विधानसभा चुनाव पर भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि सहयोगी दल जदयू का यूपी में चुनाव लड़ने से इसका कोई असर बिहार में नहीं होगा। उन्होंने बिहार में गठबंधन मजबूत होने की बात कहीं। मंत्री ने कहा कि जदयू पूर्व में भी गुजरात, बंगाल, मणिपुर में अपने दम पर चुनाव लड़ चुकी है। बिहार के बेहतरी के लिए भाजपा और जदयू की मजबूत गठबंधन बिहार में है।

बता दें कि बेगूसराय जिले में इस समय डेढ़ सौ हेक्टेयर में लीची की खेती होती है, यहां से 30 मीट्रिक टन लीची का उत्पादन होता है। मार्केट ना होने के चलते लीची किसानों को काफी जद्दोजहद करना पड़ता है। पिछले साल लॉकडाउन के चलते कारोबारी किसानों से लिखी खरीदने में असमर्थ थे। आलम यह हो गया था कि अच्छी फसल होने के बाद भी कम दाम पर किसान लीची बेचने को विवश थे।

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