बिहार में नर्सिंग की पढ़ाई करना हुआ सस्‍ता, प्राइवेट कॉलेजों के लिए सरकार ने किया शुल्क निर्धारण

स्वास्थ्य विभाग ने बिहार में निजी क्षेत्र में चल रहे मान्यता प्राप्त नर्सिंग ट्रेनिंग स्कूल और कॉलेजों में राज्य कोटे से दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए फीस तय कर दिया गया है। यह मामला लंबे अवधि से विचाराधीन था। स्वास्थ्य विभाग ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है। इससे काबिल विद्यार्थियों को वित्तीय रूप से काफी राहत मिलेगी।

सामान्य रूप से सरकारी शिक्षण संस्थानों की अपेक्षाएं निजी नर्सिंग संस्थानों से पढ़ाई करना बेहद महंगा होता है। बता दें कि बिहार में संयुक्‍त प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित कर सभी सरकारी नर्सिंग संस्‍थानों और निजी नर्सिंग संस्‍थानों में राज्‍य कोटे की सीटों पर दाखिला लिया जाता है।

प्रतीकात्मक चित्र

प्राइवेट नर्सिंग संस्थानों को स्वास्थ्य विभाग ने इसी शर्त पर मान्यता दी थी कि वह कुल आवंटित सीटों में 50 फीसद सीटों पर राज्य कोटे से दाखिला लेंगे। 6 जनवरी 2020 को स्वास्थ्य विभाग ने यह प्रस्ताव स्वीकृत किया था। विद्यार्थियों से संस्थान कितना शुल्क लेंगे, यह तय नहीं हुआ था। बाकायदा स्वास्थ्य विभाग ने फीस निर्धारण के लिए एक कमेटी भी गठित की थी। हाल ही में कमेटी ने रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। जिस पर विचार-विमर्श करने के बाद निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर दिया है।

विभाग द्वारा जारी नोटिस के मुताबिक, एएनएम पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले राज्य कोटे के बच्चों को ट्यूशन फीस में 35 हजार रुपए देने होंगे। विद्यार्थियों को 5 हजार रुपए डेवलपमेंट शुल्क के तौर पर देने होंगे। विद्यार्थियों को अलग से हॉस्टल, ट्रांसपोर्ट, मेस व अन्य सुविधाओं के लिए शुल्क भुगतान करना होगा। इसी तरह जीएनएम विद्यार्थियों को डेवलपमेंट फीस के लिए हर साल 5 हजार और 10 हजार रुपये देने होंगे। वहीं, नरसिंह से बीएससी कर रहे विद्यार्थियों को 60 हजार रुपए वार्षिक और 15 हजार डेवलपमेंट शुल्क देने होंगे। छात्रावास, परिवहन, मेस व अन्य सुविधाओं के लिए अलग से शुल्क भुगतान करने होंगे। (इस आर्टिकल में प्रयोग किए गए चित्र संकेतिक हैं।)

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