बिहार के लाल को है 16 करोड़ के इंजेक्शन की जरूरत,SMA से पीड़ित है बच्चा, आप भी करे सहयोग

SMA (स्पाइनल मस्कुलर स्ट्राफी) से पीड़ित 10 माह के अयांश की माँ ने बिहारवासियों से मदद की गुहार लगाई है। कहा है- ‘जीन से होने वाली इस बीमारी का इलाज 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की एक डोज से संभव है, पैसा नहीं है। अगर आप लोग मदद करेंगे तो मेरा 10 महीने का बेटा बच सकता है’।

आपको बता दे कि राजधानी पटना के रुपसपुर के रहने वाले परेशान अयांश के पिता आलोक कुमार सिंह ने 18 जुलाई को जनता दरबार में बच्चे के साथ जाकर मदद माँगने के लिए आवेदन दिया, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से अयांश की माँ नेहा सिंह ने संपर्क किया और बेटे की जिंदगी के लिए भीख माँगी। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाडेय ने PA का नंबर दे दिया। PA से बात हुई तो उसने कहा कि IGIMS पटना में क्यों नहीं इलाज कराए।

इधर बच्चे की माँ नेहा का कहना है कि डॉक्टरों ने इस बीमारी में 18 महीने से 24 महीने की उम्र बताई है। इसमें मसल्स गल जाती और साँस लेने तक की क्षमता नहीं रह जाती है। बच्चे की माँ नेहा सिंह ने PM नरेंद्र मोदी से लेकर CM नीतीश कुमार तक से गुहार लगा रही हैं। वह बिहार के हर व्यक्ति से हाथ जोड़कर बेटे की जिंदगी के लिए भीख माँग रही हैं। माँ का कहना है कि अयांश की जिंदगी के लिए बिहार के हर घर से मदद चाहिए, क्योंकि उसे अब बिहार और देश की जनता ही बचा सकती है।

आलोक और नेहा सिंह की दो संतान हैं। 10 महीने का अयांश छोटा है और 6 साल की मानस्वी बड़ी है। मानस्वी पूरी तरह से स्वस्थ है, लेकिन अयांश जन्म के दो माह बाद से ही SMA बीमारी का बिहार का पहला मरीज बन गया। आलोक सिंह और नेहा का कहना है कि अयांश का 29 सितंबर 2020 को जन्म हुआ तो पूरी तरह से स्वस्थ था। दो माह बाद से ही उसको परेशानी होने लगी। हाथ पैर का मूवमेंट थोड़ा कम होने लगा और गर्दन में भी ताकत खत्म होने लगी।

अयांश के माता-पिता ने पटना से लेकर बंगलुरु तक इलाज

अयांश का पहले पटना में इलाज कराया गया, फिर डॉक्टर ने उसे बंगलुरु रेफर कर दिया। इस बीच देश के कई बड़े संस्थानों में इलाज कराया गया, लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आई। बंगलुरु में एक हॉस्पिटल में टाइपोरोनिया सीपी डिटेक्ट किया गया। डेढ़ माह तक बंगलुरु में रहकर इलाज कराया, लेकिन इससे भी लाभ नहीं हुआ। इस दौरान 16 लाख से अधिक खर्च हो गया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। जब हालत बिगड़ने लगा तो बंगलुरु के NIMHANS में अयांश का इलाज कराया गया। डॉक्टरों को SAM बीमारी की आशंका हुई और जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद माँ बाप की हालत खराब हो गई और वह कई दिनों तक सदमे में चले गए। इलाज में सारा पैसा खत्म हो गया है और अब SAM के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए के इंजेक्शन की कहां से व्यवस्था करें। आलोक सिंह का कहना है कि वह ITI चलाते हैं, लेकिन कोरोना काल में सब बंद है। कमाई कुछ भी नहीं और अब तो जमा पूंजी भी खत्म हो गई।

नेहा सिंह ने क्राउड फंडिंग की शुरुआत की है और सोशल मीडिया के जरिये भी लोगों से मदद माँगी है। अयांश के इलाज के लिए कई अलग अलग संगठनों के साथ साथ सोशल मीडिया पर बडी संख्या में लोगो ने मदद के लिए हाथ आगे बढाया है। साथ ही ‘जीवन मांगे अयांश’ ट्विटर पर ट्रेेंड भी कराया जा रहा है।

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