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BIHAR

बिहार की बेटी ने बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, 18 हज़ार फीट की ऊंचाई पर फहराया तिरंगा, देश के साथ बढ़ाया देश का मान।

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बिहार की बेटियां अब पूरे देश में प्रदेश का नाम रोशन कर रही है। मनुष्य के अंदर अगर हिम्मत हो तो वह विभिन्न परिस्थितियों में अपने लक्ष्य को हासिल कर लेता है। बिहार के जमुई निवासी अनीता ने 18 हज़ार फीट की ऊंचाई पर तिरंगा झंडा लहरा कर यह चरितार्थ कर दिया है कि बेटों की तरह ही बेटी भी काम कर सकती है। जमुई की अनीशा ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर बिहार का नाम रोशन किया है।

बता दें कि अनीशा दुबे ने अपने सफर की शुरुआत 20 सितंबर को की थी। उनके साथ राज्य के नालंदा के गोपाल कुमार और प्रिया रानी उपस्थित थी। माउंट एवरेस्ट की चोटी पर उन्होंने 28 सितंबर को तिरंगा झंडा लहराकर एक नई उपलब्धि हासिल की है। अनीशा की महा ने जानकारी दी कि 20 सितंबर को यात्रा की शुरुआत करते हुए अनीषा ने 28 सितंबर को माउंट एवरेस्ट की चोटी पर देश का तिरंगा फहराया। वह 3 अक्टूबर को अपने साथियों के साथ नीचे उतरे।

बिहार के दो बेटों ने इंटरनेशनल लेवल पर बिहार का नाम रोशन किया है। बक्सर निवासी नंदन चौबे तथा सीतामढ़ी के रहने वाले विवेक ने वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया है। दो ऊंची चोटियों पर तिरंगा लहराकर में बिहार का मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया है। विवेक और नंदन के परिजन उनकी सफलता से बेहद प्रसन्न हैं। इसके साथ ही गांव के लोगों में खुशी का माहौल है। ग्रामीणों ने कहा कि उनके कारण राज्य के साथ ही जिले और गांव का मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ा है।

नंदन ने मीडिया को बातचीत में बताया कि उन्होंने अपनी टीम के साथ 27 अगस्त को चोटी पर तिरंगा लहराने के लिए यात्रा की शुरुआत की थी। नंदन और उनकी टीम ने मुहिम की शुरुआत किब्बर गांव से की, केवल 2 घंटे में ही उनकी टीम ने 4931 मीटर की ऊंचाई तय कर ली थी। माउंट कनामो पीक बेस कैंप पहुंच कर उन्होंने तिरंगा लहराया। नंदन बताते हैं कि वह नेपाल के दो पर्वतों की चोटी पर फतह करने वाले इस माह के आखिर में निकलने वाले हैं।

सीतमामढ़ी के बसबिट्टा निवासी 21 साल के विवेक ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। श्री राधा कृष्ण गोयनका कॉलेज से ग्रेजुएट करी पढ़ाई करने वाले विवेक चंडीगढ़ पहुंचे। चंडीगढ़ से उन्होंने पर्वतारोहियों की टीम में शामिल होकर हिमाचल प्रदेश के लिए रवाना हो गए थे। विवेक का फेंकने से जांच किया गया तो उन्हें 20 सदस्यों की टीम में शामिल किया गया। अभियान का समापन 14 सितंबर को पूरी हुई और उन्होंने 9 सितंबर को अभियान की शुरुआत की थी।