BIHAR
मछली उत्पादन में बिहार होगा आत्मनिर्भर, 8 जिलों के जलाशयों में केज तकनीक से होगा उत्पादन

राज्य के भागलपुर सहित 8 जिलों के 37 जलाशयों में मछलीपालन केज लगा कर होगा। तकरीबन 5000 एकड़ में केज लगा कर 26 हजार हेक्टेयर के जल क्षेत्र के इन जलाशयों में मछली पालन की तैयारी है। मछली पालन के लिए पशु और मत्स्य संसाधन विभाग को जल संसाधन विभाग ने जलाशय सौंप दिया है। पशु व मत्स्य संसाधन विभाग ने जलाशय योजना भी बना ली है। इसके तहत किसानों को जल आशा से खेती के लिए पानी भी मिलती रहेगी। विभाग जलाश्य में केज का निर्माण कर स्थानीय मछुआ समितियों को मछली उत्पादन के लिए लीज पर देगा।
200 करोड़ की राशि योजना के क्रियान्वयन में खर्च होंगे। बताया जा रहा है कि शीघ्र ही कैबिनेट से इस योजना को मंजूरी मिल जाएगी और आगामी वित्तीय साल से योजना लागू हो जाएगी। हर साल एक लाख टन अतिरिक्त मछली सभी जलाशयों से उत्पादन होगा। बिहार मछली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएगा। 1000 करोड़ की मछलियां बाहर से बिहार को नहीं लानी पड़ेगी। बता दें कि वर्तमान में सालाना एक हजार करोड़ की मछली बिहार में बाहर से आती है।

मछली पालन बढ़ने से लोगों को ताजी और फ्रेश मछलियां उपलब्ध होगी। केज के लिए मछुआरा समितियों को शुल्क देना होगा। मछली बीज और दाना साल भर के लिए समितियों को उधार दिया जाएगा। प्रावधान ये होगा कि जो बीज और दाना देगा, मछली उसे ही बेचना होगा। संबंधित कंपनी को मछली बेचने पर बाजार के होलसेल रेट से कम नहीं मिलेगा। बता दें कि राज्य के 534 ब्लॉक में 514 ब्लॉक में मछुआरा समिति है।
कलस्टर में केज होगा। एक केज की लंबाई 6 मीटर, 4 मीटर चौड़ा और 4 मीटर गहरा एक केज होगा। जलाशय नीति के मुताबिक कुल जलक्षेत्र के लगभग 2 फीसद हिस्से में ही केज लगाया जाएगा। क्लस्टर में लगे केज के बीच एक फाइबर का हाउस बोट भी होगा, जिसमें मछली का दाना और मछली पालक रह सकेंगे। एक छोटा नाव आने-जाने के लिए होगा। पावर बोर्ड और स्टार्टर भी रहेगा।
केज में मछलियां सेफ रहेंगी। आसानी से बीमार मछली को बाहर निकाला जा सकता है। बाजार में ज्यादा कीमत मिलने पर मछली निकाल कर बेचा जा सकता है। जलाशय में केज तैरता रहेगा। मछलियों को वृद्धि भी इससे अच्छी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि जलाशय से खेती-बाड़ी के लिए अधिकांश पानी निकल भी जाए, तो कम पानी में मछली पालन हो सकता है।
बता दें कि मछली का उत्पादन साल 2020-21 में 6.83 लाख टन हुआ। यह 2019-20 की तुलना में मछली का उत्पादन 42 हजार टन अधिक है। 8 लाख टन सालाना बिहार में मछली की खपत होती है। 1000 करोड़ से भी ज्यादा की मछलियां हर साल दूसरे राज्यों से बिहार में आयात होता है। ( इस आर्टिकल में प्रयोग किए गए चित्र सांकेतिक हैं।)
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