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एक छात्रा महिमा शाह की संघर्ष गाथा को PM मोदी ने किया सलाम, बदला NEET का नियम, संघर्षों से भरी है कहानी

बरेली के इज्जतनगर की दिव्यांग महिमा शाह देश के लिए एक नई मिसाल पेश कर दी है। महिमा का जन्म 29 अगस्त 2001 को हुआ वह बचपन से 80 प्रतिशत दिव्यांग है। दिव्यांगता को पीछे छोड़ नीट परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली महिमा को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राइटर देने की विशेष अनुमति दी थी। इसके बाद से यह पारित हो गया कि नीट की परीक्षा में भी दिव्यांगों को राइटर दिया जा सकेगा।
जन्म लेने के 3 साल बाद तक महिमा कुछ बोलने में असमर्थ थी। 3 साल के बाद उन्होंने पहला शब्द काका बोला। उसके बाद महिमा ने 6 महीने के अंदर अच्छे से बोलना शुरु कर दिया और अंग्रेजी, हिंदी में गिनती, वर्णमाला आदि कंठस्थ कर लिया। इसके बाद एक साल के अंदर उसने बैठना भी शुरू कर दिया। अगर कोई तेज आवाज देता तो दी या कोई ताली भी बजा देता तो उसका शारीरिक संतुलन खराब हो जाता था और वह गिर जाती थी।
जब महिमा ने अथक प्रयासों के बाद बैठना शुरू किया तो पास के ही एक विद्यालय में एडमिशन हुआ। पुलिस क्लास के दौरान उनकी मां साथ रहती थी। पांचवी पास करने के बाद महिमा का मन अच्छे स्कूल में एडमिशन ले रखा था लिहाजा माता-पिता ने सिटी के बेदी इंटरनेशनल स्कूल में नाम लिखवा दिया। महिमा ने छठवीं की परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया। फिर एक्सरसाइज के दौरान बायीं ओर हड्डी टूट जाने के कारण पढ़ाई प्रभावित रहा।
अच्छे नंबर होने के बाद भी सीबीएसई ने रजिस्टर्ड करने में कोताही बरत रही थी। परेशानी को देखते हुए पिता शैलेंद्र साह ने नैनीताल हाई कोर्ट में शरण ली। वहां चीफ जस्टिस ने मामले की गंभीरता को संज्ञान में लिया और महिमा का रजिस्ट्रेशन के साथ ही सारी सुविधाएं देने का आदेश दिया। साल 2017 में महिला ने 88 प्रतिशत अंकों के साथ मैट्रिक परीक्षा पास की। फिर साल 2019 में उन्होंने एक बार फिर 88 फीसद अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास की।
महिमा ने नीट की परीक्षा दी। इस परीक्षा में किसी भी अभ्यर्थी को राइटर देते की अनुमति रही होती है। फिर भी महिमा ने नीट परीक्षा में राइटर देने की पेशकश की। मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास गया तो उन्होंने परीक्षा से एक दिन पूर्व ही राइटर देने की इजाजत दे दी। महिमा ने नीट की परीक्षा भी पास कर ली।
महिमा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। 80 प्रतिशत दिव्यांग होने के चलते मेडिकल की पढ़ाई के लिए उन्हें अनफिट घोषित किया गया है। पशुओं पर शोध करने के लिए उन्होंने बरेली कॉलेज में जूलोजी, बाटनी और केमिस्ट्री के साथ एडमिशन लिया। पंतगनगर कृषि विश्वविद्यालय, आइवीआरआइ और मथुरा पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में एडमिशन लिस्ट में नाम आने के बाद भी उन्हें अनफिट घोषित किया गया है। मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में डाल दिया गया है अनुमति मिलने की प्रतीक्षा हो रही है।
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