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शुरुआती असफलता और इंटरव्यू से पहले पिता को खोने के बाद भी नहीं माने हार, 5वें प्रयास में बने IAS

यूपीएससी की राह संघर्षों और मुश्किलों से भरा होता है। परीक्षा इतनी कठिन होती है कि अभ्यर्थियों को दृढ़ निश्चय और निरंतर मेहनत के साथ ही सालों भर इंतजार करना पड़ता है। आईएएस बनने की चाह में युवा अपना सब कुछ झोंक देते हैं। कहानी 495 वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनने वाले डॉ० राजदीप सिंह खैरा की जिन्होंने पिता को खोने के बाद भी अपने बुलंद हौंसले से पांचवें प्रयास में कामयाबी हासिल कर मिशाल पेश कर दी। आईएएस बनने से पहले राजदीप लुधियाना के सिविल हॉस्पिटल में मेडिकल ऑफिसर के पद पर सेवा दे रहे थे। इनकी कहानी हम सभी को पढ़नी चाहिए।
4 बार फेल होने के बाद 5वें प्रयास में यूपीएससी क्लियर करने वाले राजदीप इंटरव्यू राउंड तक दो बार पहुंच गए थे। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हार नहीं मानने वाले राजदीप के लिए मुश्किल उस समय और बढ़ गई जब उनके पिता कोराना काल में परिवार वाले का साथ छोड़ दिया। इंटरव्यू से ठीक पहले पिता को खोने के बाद राजदीप ने बुलंद हौंसले से इंटरव्यू क्रैक किया। यूपीएससी के जारी परिणाम में राजदीप को 495 वीं रैंक हासिल हुई। वे युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

राजदीप ने लुधियाना के सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल से दसवीं और सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल, सराभा नगर से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की है। पिछले तीन साल से ही सिविल हॉस्पिटल, कुम कलां लुधियाना में मेडिकल ऑफिसर के रूप में सेवा दे रहे थे। यूपीएससी की तैयारी कर रहे युवाओं को राजदीप कहते हैं कि अपने धैर्य को बनाए रखना चाहिए और लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए। राजदीप बताते हैं कि सोशल मीडिया से दूरी रहकर यूपीएससी की तैयारी करनी चाहिए।
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