सीतामढ़ी का इकलौता ओवरब्रिज का काम जल्द होगा शुरू, 13 साल बाद जगी उम्मीद की किरणें

राज्य सरकार ने विधायक डा. मिथिलेश कुमार को यह भरोसा दिया है कि सीतामढ़ी शहर का बहुप्रतीक्षित व एकमात्र रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण कार्य जल्द शुरू हो जाएगा। सदन में विधायक द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दिया गया कि रेलवे ओवरब्रिज एलसी-56 के निर्माण के लिए टेंडर निकाला गया है। जल्द ही कार्य आवंटित होगा। सदन में विधायक ने सवाल किया कि जनवरी 2021 में केंद्र सरकार 85.71 करोड़ की राशि बिहार सरकार को ओवरब्रिज के निर्माण के लिए आवंटित कर चुकी है, तो सूबे की सरकार क्यों नहीं काम नहीं कर रही है।

विधायक ने कहा कि 13 सालों से ओवरब्रिज के निर्माण के लिए सरकार की आंखें मूंदी है। अभी तक महज दो पाया का निमार्ण ही हो सका है। तत्कालीन रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी ने 2014 में इसकी आधारशिला रखी थी। केवल 18 महीने के अंदर इस पुल को बनाने का लक्ष्य था। आगे चलकर रेलवे के खींचतान से कार्य ठप हो गया। राज्य सरकार एप्रोच पथ बनाने में रुचि नहीं दिखा रही। ओवरब्रिज की लंबाई दोगुना से ज्यादा हो गई, एप्रोच पथ भी नए सिरे से पुल के दोनों ओर राज्य सरकार द्वारा पहुंच पथ बनाया जाना है।

बता दें कि पहुंच पथ मेहसौल चौक के बजरंग पेट्रोल पंप के पास से से शुरू होगी, जो 6.20 मीटर लंबी होगी और मेहसौल गुमटी होते हुए उस पार ओवरब्रिज दो हिस्सों में बट जाएगा। एक ओर एनएच-104 की तरफ जाएगी जो 3.50 मीटर लंबी होगी। दूसरी साइड में स्टेट हाइवे-52 की तरह सड़क जाएगी जो 4.70 मीटर लंबी होगी। जो बाजपट्टी, पुपरी होते हुए दरभंगा व मधुबनी चली जाएगी। इस पुल के पहुंच पथ की लंबाई 1440 मीटर होगा व 12 मीटर चौरी होगी।

पूर्व में एप्रोच पथ मार्च 11 में रेलवे व राज्य सरकार ने साझा रूप से उक्त ओवरब्रिज बनाने का फैसला लिया था। उस वक्त पुल की लंबाई 650 मीटर थी। और उसपर 19.50 करोड़ की लागत का अनुमान लगाया था। जिसमे 8.50 करोड़ रेलवे व बिहार सरकार को 11 करोड़ खर्च वहन करना था। लेकिन आवागमन के दृष्टिकोण से सही नहीं होने को लेकर रेलवे व राज्य सरकार के द्वारा अंतिम सर्वे में ओवरब्रिज की लंबाई को बढ़ाकर 650 मीटर से 1500 मीटर कर दी गई।

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