रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाला सुकरात बना दरोगा, बुलंद हौसलों से हासिल की सफलता, प्रेरक है कहानी

बिहार के सुकरात सिंह ने सफलता हासिल कर हर किसी के लिए मिसाल पेश कर दी है। तमाम बाधाओं को पार करते हुए सुकरात ने अपने सपने को साकार किया है। सुकरात रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे और चाहत थी दरोगा बनने की। इसके लिए उन्होंने गूगल और यू-ट्यूब के सहारे तैयारी की। दुकानदारी से जो भी समय मिलता, उसमें तैयारी की और अब दरोगा बन गए हैं।

सुकरात बिहार के कटिहार रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हैं। संसाधनों का अभाव था, मगर हौसले बुलंद थे। उन्होंने प्रयास शुरू की। मदन मिला इंटरनेट का। उन्होंने पाठ्यक्रम मार्क कर लिया था। उसके मुताबिक वह इंटरनेट पर सब्जेक्ट सर्च करते रहे और तैयारी करते रहें। दुकान से खाली रहते वह यूट्यूब और इंटरनेट पर तैयारी में भीड़ जाते। मेहनत रंग लाई है और उन्होंने दरोगा बनकर मिसाल पेश की है।

बता दें कि सुकरात के पिता कैलाश सिंह 20 साल पहले मनिहारी रेलवे स्टेशन के पीछे चाय बेचने का काम शुरू किया। सुकरात अपने पिता को चाय की दुकान में मदद करते थे। पर उनकी चाहत की वर्दी पहनकर दरोगा बनने की। इसी सपने को हकीकत में बदलने के लिए उन्होंने यूट्यूब और इंटरनेट से दरोगा की परीक्षा की तैयारी करने में लग गए। दो दशक पहले सुकरात का घर गंगा में समाहित हो गया था और अपना परिवार चलाने के लिए वह चाय की दुकान खोल ली। सुकरात का परिवार गरीबी और अभाव की जिंदगी जी रहा था।

पिता अपने बेटे की सफलता से हर्षित हैं। उनके चेहरे पर खुशी की रौनक और आंखों में गर्व लिए हुए कहते हैं कि हां मालूम है, उसने अपनी मेहनत से यह सब कुछ पाया है। उसने खुद अपना भविष्य संवारा है। सुकरात अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी मां-पापा को देते हैं। भविष्य में एक होनहार और ईमानदार पुलिस अधिकारी बनने की बात कह रहे हैं। सुकरात ने कहा कि पढ़ाई काफी पहले से कर रहा था, मगर जब 2018 में फूफा जी के बेटे को वर्दी पहने देखा तो ठान लिया कि मैं भी दरोगा बन कर रहूंगा। रोजाना आठ से 10 घंटे तक पढ़ाई करता था। परीक्षा समय में बहुत कम दुकान जाता था।

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