बिहार में शिक्षा को मिलेगा नया आयाम, कुल बजट का 16.5 फीसदी शिक्षा पर होगा खर्च, जाने सरकार की योजना

कोविड के दौरान पटरी से उतर गई शिक्षा व्यवस्था को उसके आयाम तक पहुंचाने के लिए नीतीश सरकार ने कोशिशें तेज कर दी हैं। बजट में इसकी झलक दिख रही है। सब पढ़े, सब बढ़े की नीति को अपनाते हुए राज्य सरकार ने डिजिटल या ऑनलाइन मोड से शिक्षा को जोड़ें रखने और उसका दायरा बढ़ाने पर बल दिया है। नीति आयोग के सूची पर खरा उतरने के लिए शिक्षा में ई-कंटेंट लर्निंग, टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम, रिसर्च और इनोवेशन पर खासा ध्यान सरकार ने रखा है। पहली मर्तबा शिक्षा का रोड मैप के आधार पर सरकार काम कर रही है, इसकी जमीन भी तैयार हो गई है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कार्यान्वयन के मद्देनजर बच्चों के लिए मिशन निपुण कार्यक्रम पर बल दिया गया है। यही कारण है कि गवर्नमेंट ने वित्तीय साल 2022-23 के शिक्षा बजट में 1155.94 रुपये की वृद्धि की है। इस बार का शिक्षा बजट टोटल 37191.87 करोड़ रुपये का है। जबकि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में शिक्षा बजट 38035.93 करोड़ रुपये का है। बता दें इस बार के बजट में सरकार ने शिक्षा बजट का आकार तो बढ़ाया है पर स्कीम मद की राशि घटा दी है। चालू वित्त साल में स्कीम मद में 29080.18 करोड़ रुपए है, जबकि नए बजट में स्कीम मद में 22198.38 करोड़ रुपये का ही था।

कोविड पीरियड में पढ़ाई से वंचित आंगनबाड़ी सेंटरों एवं बेसिक स्कूलों के बच्चों में मूलभूत साक्षरता व संख्या ज्ञान पर अधिक ध्यान केंद्रित रखने पर ध्यान दिया गया है। इसके तहत सूबे में संचालित हो रहे 1.18 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों और 72 हजार से अधिक प्रारंभिक स्कूलों के 1.39 करोड़ बच्चों के लिए मिशन निपुण कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर तीव्रता लाने को कहा गया है। सेकेंडरी के अलावा अब मिडिल स्कूलों में भी बेहतर ई-कंटेंट के लिए स्मार्ट क्लास चलाने की योजना भी लागू होगी।

नीतीश सरकार ने अपने बजट में बेसिक से लेकर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में बड़ी तब्दीली करने पर खाका पेश किया है। इसका विस्तार शिक्षा तकनीकी शिक्षा जैसे महकमों के बजट में देखने को मिलेगा। फायदे की बात यह है राज्य सरकार ने शिक्षा के सभी क्षेत्र को डिजिटल या ऑनलाइन मोड से जोड़े रखने की पहल की है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्य को हासिल करने में यह काफी मददगार साबित होगा। कोर्स की संख्या में भी इजाफा होगा क्योंकि वर्तमान में उच्च शिक्षा के साथ एक विश्वविद्यालय और कॉलेजों में हर पोस्ट के लिए सीमित संख्या का होना चुनौती है।

Join Us