बिहार में गन्ना से बनेगा कागज, किसानों को उचित दर पर होगा भुगतान, सरकार ने बताया अपना प्लान

बिहार में वृहद स्तर पर एथेनॉल उत्पादन को मंजूरी मिल गई है। उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद के मुताबिक राज्य में 17 इथेनॉल उत्पादन प्लांट को हरी झंडी मिल गई है। इसे गन्ना के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। गन्ना उगाने वाले किसानों को उत्पादन का उचित मूल्य मिल सकेगा। इसके अलावा चीनी बनाने के सिलसिले में बाई-प्रोडक्ट गन्ने की सिठ्ठी और छोआ से भी उत्पादित किए जाएंगे।

राजधानी पटना के बामेती कैंपस में राज्य स्तर के गन्ना किसानों में सरकार की ओर से शुभ समाचार मिला है। राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने जानकारी दी है कि गन्ना आधारित उद्योग की स्थापना के लिए सरकार नई गुड़ प्रोत्साहन नीति तैयार करने में जुटी है। चीनी बनाने के दौरान निकलने वाले उसके सिठ्ठी और छोआ को यूज़ में लाते हुए उत्पाद तैयार की जाएगी। बता दें कि वर्तमान समय में गन्ना की सिठ्ठी को आमतौर पर जला दिया जाता है। सरकार अब इसका इस्तेमाल करके कागज तैयार करने की योजना पर विचार कर रही है। छोआ से अल्कोहल और खाद बनाया जा सकता है। साथ ही, इसका इस्तेमाल पशुओं के चारा में भी किया जा सकता है।

बिहार सरकार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि पेराई सत्र में 2021-22 में गन्ना किसानों को मूल्य का 92 प्रतिशत राशि का भुगतान चीनी मिल प्रबंधन कर चुकी है। उत्तम और सामान्य किस्म के गन्ना पर प्रति क्विंटल 20 रूपए के दर से बढ़ोतरी की गई है। निम्न कोटि के गन्ने पर प्रति क्विंटल 13 रूपए के दर से बढ़ोतरी की गई है। इस हिसाब से उत्तम किस्म का मूल्य 335 रूपए प्रति क्विंटल, सामान्य किस्म का मूल्य 315 रूपए जबकि निम्न किस्म के गन्ने का 285 रूपए प्रति क्विंटल रेट सरकार ने निर्धारित किया है।

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