फिर से शुरू होगा मंडल डैम का निर्माण कार्य, कब तक निर्माण पूरा होने की है संभावना

मंडल डैम के निर्माण को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। निर्माण के संबंध में सांसद स्तर की बैठक आयोजित की जा रही है। बैठकों के बाद ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही मंडल डैम का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा। बीते दिनों में नई दिल्ली के श्रम शक्ति भवन में जल मंत्रालय मामले के मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में पलामू, औरंगाबाद व लातेहार के सांसदों की बैठक हुई थी।

अब एक बार फिर से 6 जून को औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह और पलामू के सांसद सांसद बीडी राम के बीच मंडल डैम निर्माण को लेकर बैठक आयोजित होना है। इस बैठक में डैम निर्माण करने वाले संवेदक और वाप्कोस लिमिटेड कम्पनी के अधिकारी मौजूद रहेंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मंडल डैम का निर्माण 2024 से पहले पूरा होने की बात कही जा रही है।

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इस संदर्भ में जानकारी दी गई कि बराज की मरम्मत, परियोजना में तेजी लाने,मंडल डैम में फाटक लगाने, डैम के नजदीक सुरक्षा के लिहाज से पुलिस कैंप की स्थापना करने, विस्थापितों को मुआवजा जल्द से जल्द देने, कांक्रिट लाइनिंग, फॉरेस्ट क्लीयरेंस बात चिन्हित किए जगहों पर एसएलआर ब्रिज बनाने पर चर्चा हुई है।

पलामू सांसद बीडी राम ने जानकारी देते हुए बताया कि लातेहार इलाके में वन विभाग से एनओसी मिलना है। इसके लिए लातेहार के सांसद सुनील कुमार सिंह कोशिश भी कर रहे हैं। बहुत ज्यादा वन विभाग से एनओसी मिल जाएगा। सांसद ने कहा कि हर सूरत में तय समय पर प्रोजेक्ट का काम पूर्ण कर लिया जाएगा।

बता दें कि वर्ष 1970 में मंडल डैम की शुरुआत हुई थी। यह प्रोजेक्ट लातेहार जिले के मंडल गांव में है। डैम से पन बिजली का उत्पादन होना था। परियोजना का 90 प्रतिशत काम पूरा भी हो गया था। फिर अचानक केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 1993 में प्रोजेक्ट पर ताला लगा दिया गया। जिसके वजह से यह परियोजना 28 सालों से बंद पड़ा है। अगर यह प्रोजेक्ट चालू हो जाता है तो झारखंड की बिजली कैपेसिटी और बढ़ जाएगी। बिहार को भी लाभ मिलेगा।

बता दें कि 67.80 मीटर डैम की ऊंचाई और लंबाई 408 मीटर है। रिजरवायर का स्तर 341 व (संशोधित) संग्रहण कैपिसिटी 330.10 मीटर है। टोटल संग्रहण कैपिसिटी 190 एमसीएम 341 मीटर पर एवं बराज की कुल लंबाई 819.60 मीटर है। राइट कनाल 109 किमी लंबा है, जिसमें 30 किलोमीटर हिस्सा झारखंड में और 78 किलोमीटर बिहार में है। वन भूमि का टोटल एरिया 1007.29 हेक्टेयर है जिससे 8 गांव प्रभावित है।

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