अमेरिका छोड़ बिहार के लोगों की सेवा में समर्पित पद्मश्री सम्मान पाने वाले भागलपुर के दिलीप सिंह की कहानी

भागलपुर के दिलीप सिंह जिन्होंने देश के लोगों की सेवा करने के लिए अमेरिका छोड़कर स्वदेश लौटने का फैसला लिया। हाल ही में राष्ट्रपति भवन में आयोजित सम्मान समारोह में महामहिम के हाथों पद्मश्री से नवाजे जाने वाले दिलीप सिंह लोगों की सेवा में समर्पित रहे हैं। आईएमए भागलपुर के गॉड फादर माने जाने वाले दिलीप कुमार सिंह निम्न तबके के लोगों के लिए भगवान कहे जाते हैं। मुफ्त और मामूली पैसों से लोगों का बेहतर चिकित्सा करने वाले दिलीप सिंह लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।

26 जून 1926 को बिहार के बांका जिला में जन्मे दिलीप सिंह एक फिजीशियन थे। साल 1952 में पटना मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की फिर डीटीएम एंड एच इंग्लैंड से किया। पढ़ाई पूरा करते ही दिलीप अमेरिका चले गए वह अच्छी खासी नौकरी मिल गई फिर देश की सेवा करने के जज्बे में स्वदेश लौटने का फैसला किया। फिर दिलीप सिंह अपने पैतृक गांव आकर लोगों का इलाज करना शुरू कर दिया। दिन हो या रात दिलीप सिंह दूर-दराज के गांव में खुद जाकर मरीजों की सेवा में समर्पित रहते थे।

सेवा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने दिलीप कुमार सिंह को पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाने की घोषणा की। पदम श्री से सम्मानित होने पर गांव के लोगों के साथ ही जिले के लोगों को भी खुशी की लहर दौड़ गई। बीते सप्ताह देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने हाथों प्रतिष्ठित सम्मान पद्म श्री से दिलीप कुमार सिंह को सम्मानित किया।

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